मल्टीनेशनल कम्पनियाँ (MNCs) आखिर क्यों कर रही हैं कर्मचारियों की छंटनी (Lay Offs):
आज कल MNCs में एक शब्द बहुत ज्यादा सुनने को मिल रहा है Lay Offs। चाहे गूगल हो, अमेज़न हो, मेटा हो, एप्पल या फिर माइक्रोसॉफ्ट सभी कम्पनियाँ अपने यहाँ से कर्मचारियों को निकाल रही हैं। आखिर ये हो क्यों रहा है जब हमने ये जानने का प्रयास किया तो इसके पीछे बहुत से कारणों का पता चला। आइये जानते हैं इन वजहों के बारे में…
पहला और सबसे बड़ा कारण है कोरोना महामारी:
जी हाँ आज जो Lay Offs हो रही हैं MNCs में उसकी सबसे बड़ी वजह कोरोना महामारी ही है। अब आप सोच रहे होंगे कि कोरोना महामारी का इससे क्या लेना-देना। कोरोना महामारी तो 2019-2020 में थी अब तो बाजार, सिनेमाहाल, ऑफिसेस सब कुछ तो खुल चुका है अब तो सब कुछ नार्मल हो चुका है पहले जैसा तो फिर क्यों निकाल रही कम्पनियाँ। तो आपको बता दें की जब 2020 में पूरी दुनिया में Lockdown लगा था बाजार बंद था,सिनेमाहाल बंद था, स्कूल-कॉलेज बंद थे, ऑफिसेस बंद थे जब सब कुछ बंद था और सभी लोग घर में रहने को मजबूर थे और घर से बाहर निकल नहीं सकते थे उस समय पर कुछ खुला था तो ऑनलाइन का बाज़ार।
लोग दिन भर घर में रहते थे जिस कारण वो मोबाइल फ़ोन पर और कम्प्यूटर्स पर ज्यादा समय देने लगे जिस कारण अचानक से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर और बाकी websites पर Apps बहुत बड़ी तादात में users जुड़ने लगे और सोशल मीडिया कंपनियों मेटा समूह, गूगल-यूट्यूब में, ट्विटर में या फिर अन्य टेक-कंपनियों में जबरदस्त भर्तियां की गयी। और वहीँ जब बाजार बंद था तो हर कोई ऑनलाइन शॉपिंग कर रहा था जिस कारण अमेज़न जैसी कंपनियों को भी बहुत बड़ी तादात में Bulk-Hiring करना पड़ा। अगर हम कंपनियों का डाटा देखते हैं तो हम पाते हैं की 2020-2021 में कंपनियों ने जमकर भर्तियां की थी। शायद कंपनियों को ऐसा लगा की जैसा काम उस समय चल रहा था वैसा ही कोरोना खत्म होने के बाद भी चलता रहेगा और जमकर भर्तियां करते रहे। लेकिन जब कोरोना माहमारी का समय खत्म हुवा और सब कुछ फिर पहले जैसा सामान्य हो गया तो कम्पनियाँ घाटे में जाने लगी जिस कारण अब कंपनियों को Lay Offs करने पड़ रहा।
कंपनियों से हुयी चूक का खामियाज़ा भुगत रहे पुराने कर्मचारी:
जब कंपनियों को कोरोना महामारी के समय भर्तियां करना ही था तो उनको contract-basis पर या apprentice पर नए लोगों को भर्ती करना चाहिए था क्यों किसी को नहीं पता था कि ये महामारी कब तक चलेगी और महामारी जब खत्म होगी तो कोई नहीं जानता था कि स्थितियां कैसी होंगी और कंपनियों को इस बात को समझने में हुयी चूक का खामियाज़ा भुगत रहे पुराने कर्मचारी।
कंपनियों ने भर्तियां तो जमकर कर ली लेकिन जब महामारी के बाद सब कुछ पहले जैसा सामान्य हुवा और कम्पनियाँ घाटे में जाने लगी तो कम्पनियाँ छंटनी (Lay Offs) भी शुरू कर दी।
पुराने कर्मचारियों को निकाले जाने के पीछे का सच:
आप देख रहे होंगे और सुन भी रहे होंगे कि फलाने उस कंपनी में 5 साल से काम कर रहे थे उनको निकाल दिया, फलाने 10 साल से काम कर रहे थे उनको भी निकाल दिया कुछ कर्मचारी 15-16 साल से भी काम कर रहे थे कंपनी ने उनको भी निकाल दिया। तो जब हमने ये जानने-समझने का प्रयास किया तो पता चला कि जो पुराने लोग निकाले जा रहे वो 10 साल से 15 साल से उसी कम्पनी में बने हुवे थे और काम से ज्यादा मस्ती करने जाते थे ऑफिस और उनका काम भी एवरेज या बिलो-एवरेज था और वहीं कंपनी ने जो नए कर्मचारियों को Hire किया था उनमें से कुछ लोग पुराने Employee जैसा ही काम करने लगे हैं।
इस पर TCS के एक Senior-HR ने बोला है कि उन्हें सिर्फ Talented-Employee की जरूरत है। मतलब निकाले वहीं जा रहे जो अपने Salary के अनुरूप काम नहीं कर रहे या फिर कम्पनी को अपना ससुराल समझ लिए थे।
अगर किसी Employee का वेतन 2 लाख रूपये महीने है और वो अपनी वेतन के अनुरूप काम नहीं कर रहा तो कंपनी उस Employee को निकालकर 15-15 हज़ार में 5 Employees रख ले रही और कुछ कंपनियां अब Contract पर या Apprentice पर Employee की नियुक्ति करके अपने खर्चे को 40-60% तक बचा रही हैं।
ये कुछ कंपनियों में कर्मचारियों कि संख्या के आंकड़े हैं:
कंपनी | Amazon | |
वर्ष | Employee | Growth |
2018 | 647500 | 14.40% |
2019 | 798000 | 23.25% |
2020 | 1298000 | 62.65% |
2021 | 1608000 | 23.90% |
2022 | 1541000 | -4.17% |
2023 | 1465000 | –4.95% |
कंपनी | Microsoft | |
वर्ष | Employee | Growth |
2018 | 131000 | 5.65% |
2019 | 144000 | 9.95% |
2020 | 163000 | 13.20% |
2021 | 181000 | 11.05% |
2022 | 221000 | 22.10% |
कंपनी | Google-Alphabet | |
वर्ष | Employee | Growth |
2018 | 98771 | 23.30% |
2019 | 118899 | 20.39% |
2020 | 135301 | 13.80% |
2021 | 156500 | 15.68% |
2022 | 190234 | 21.56% |
2023 | 178711 | -6.05% |
नोट: इस आंकड़े में Google द्वारा जो 12000 कर्मचारियों को निकाले जाने की योजना है कुछ महीने में उसे अगर शामिल करते हैं तो Google कर्मचारियों कि संख्या ग्रोथ -6.05% तक कम हो जाएगी..
कंपनी | Facebook-Meta | |
वर्ष | Employee | Growth |
2019 | 44942 | 26.30% |
2020 | 58604 | 30.41% |
2021 | 71970 | 23.00% |
2022 | 86482 | 20.15% |
2023 | 77115 | -10.83% |
दूसरी बड़ी वजह है Lay-Offs की रूस-यूक्रेन युद्ध:
MNCs में हो रहे Lay-Offs की दूसरी सबसे बड़ी वजह है साल भर से ज्यादा से चला आ रहा रूस-यूक्रेन युद्ध। रूस-यूक्रेन में साल भर से ज्यादा से युद्ध चला आ रहा है और जिस कारण से बहुत सी कंपनियों को अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट या फैक्ट्रीज सब बंद करने पड़े हैं इस युद्ध के कारण से पूरी दुनिया का Supply-Chain बाधित है।
और जाहिर सी बात है किसी भी देश कि अर्थव्यवस्था Demand और Supply पर टिकी होती है और जब Supply-Chain ही बाधित हो गया तो इकॉनमी भी नहीं बढ़ पायेगी और जिस कारण से मंदी आना भी लाज़मी है। और अब इस मंदी का असर पूरी दुनिया पर दिखने लगा है सबसे ज्यादा जो प्रभावित हो रहे वो अमेरिका और पश्चिमी देश हैं और ये भी सबको पता है कि अगर पश्चिमी देश अगर प्रभावित होंगे तो इसका असर पुरे विश्व में होगा। IMF ने और World-Bank ने भी एक रिपोर्ट में बोला है कि इस मंदी से भारत भी बच नहीं पायेगा लेकिन साथ में ये भी बोला है कि भारत पर इसका असर बहुत कम होगा। और अमेरिका में बैंको कि स्थिति को लेकर जो चिंता बनी हुयी है वो भी वजह है।
Our latest annual review of India’s 🇮🇳 economy projects 6.8% growth for the current financial year – much higher than peer countries – thanks to strong domestic demand, high vaccination rate, and increasing credit to the private sector. https://t.co/dDChnzgUzN pic.twitter.com/DkJuvELY0F
— IMF (@IMFNews) December 23, 2022
क्या भारत पर भी होगा वैश्विक मंदी का असर और यहाँ भी होगा Lay-Offs ?
IMF ने और वर्ल्ड-बैंक ने अपने रिपोर्ट में इस दौरान भारत का Growth-Rate करीब 6.8 और 6.6 क्रमशः रहने की उम्मीद जताई है। मतलब वैश्विक मंदी कि मार से भारत भी नहीं बच पायेगा लेकिन भारत पर इसका असर न के बराबर होगा।
तो हम ये कह सकते हैं कि भारत में ऐसी संभावना बहुत कम है कि यहां की कंपनियों से लोग निकाले जाए और सभी कम्पनियो के लिए भारत एक बहुत बड़ा हब है बहुत बड़ा Market है अगर कंपनियां इस मंदी में भी कहीं सम्भावना तलाश सकती हैं तो वो है भारत।
और फिर भारत में जो भी Employees काम कर रहे उनमें सबसे बाड़ी संख्या 3rd पार्टी पे-रोल पर काम कर रहे लोगों कि है। अगर कोई Employee डायरेक्ट कंपनी पे-रोल पर होगा तो कंपनी अगर उसे 1.5 लाख या 2 लाख रूपये इंडियन करेंसी में पे करेंगी लेकिन वही काम अगर किसी 3rd पार्टी के द्वारा करवाएंगी तो वो काम उनका करीब 80-90 हज़ार में हो जायेगा मतलब 1st पार्टी कंपनी (Client Company) को करीब 50% कम खर्च में काम हो गया और वहीं 3rd पार्टी जब किसी Employee को भर्ती करती हैं तो उसे सिर्फ 15-20 हजार में भर्ती कर लेंगी तो 3rd पार्टी कम्पनी को भी करीब 60-75% बच गया।
और भारत में 3rd पार्टी कर्मचारियों कि संख्या बहुत ज्यादा है। जिस कारण भारत में छंटनी कि संभावना बहुत कम है।
अगर भविष्य में कुछ छंटनी भारत में भी होती है तो इन कंपनियों में ही छंटनी देखने को मिल सकता है…
Accenture, HCL, TCS, Infosys जैसी कुछ कंपनियां हैं जिसमें छंटनी देखने को मिल सकता है जो 3rd पार्टी काम तो करती हैं और अच्छा-खासा पैकेज भी देती हैं अपने कर्मचारियों को और इन कंपनियों में छंटनी का कारण ये भी होगा कि जब कोई Employee किसी कम्पनी को छोड़कर आता था तो ये कंपनियां करीब 100% तक का Salary-Hike देने को तैयार रहती थी, ये भी वजह बन सकती है भारत में छंटनी की । अगर भारत में सबसे ज्यादा कोई प्रभावित होगा वो बायजूस, वेदांतु जैसे स्टार्टअप्स प्रभावित होंगे या जो आईटी-टेक सेक्टर में काम करते हैं वो..
भारत में बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां पहले ही Hiring बंद कर रखी हैं और अगर कहीं किसी कंपनियों को जरूरत होता है तो वो अपनी जरूरत के अनुसार अपरेंटिस पर या फिर कॉन्ट्रैक्ट पर Hiring कर रही हैं। लेकिन Accenture, TCS या Cognizant जैसी कंपनियों ने करीब दुगना पैकेज देकर Experience होल्डर को Hire किया था और अब वैश्विक महामारी के बाद वैश्विक मंदी भी आ गयी तो कुछ सीनियर्स को निकालना या जिनके वेतन ज्यादा है उनको निकालकर अपने खर्चे कम कर सकती हैं अपना घाटा कवर कर सकती हैं।
अगर बात करें बड़े मल्टीनेशनल कंपनियों की तो भारत में बाकि देशों कि तुलना में छंटनी न के बराबर ही देखने को मिलेगा। लेकिन हाँ ये भी सच है कि विदेश में काम करने वालों में अगर सबसे ज्यादा कोई निकाला जायेगा तो वो भारतीय ही होंगे।
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