July 27, 2024

माँ शब्द में ही समस्त सृष्टि समाहित

माँ शब्द में ही समस्त सृष्टि समाहित:

माँ, एक ऐसा शब्द जो अपने आप में ही पूरी सृष्टि समाये हुवे है। माँ मतलब जननी, जब कोई इस दुनिया में आता है तो वो सिर्फ एक ही जरिया होता है माँ। चाहे वो कोई भी इंसान हो या फिर कोई जीव हो यहाँ तक कि भगवान राम को भी माँ कौशल्या और भगवान कृष्ण को देवकी माँ की कोख में शरण लेना पड़ा इस संसार में आने के लिए।
आज समस्त विश्व में मदर्स डे मनाया जा रहा है लेकिन अगर बात करें भारत की तो भारत में माँ शब्द का अपना एक इतिहास रहा है। चाहे माँ अनेक कष्टों को सहकर भगवान श्री कृष्ण को जन्म देने वाली माँ देवकी हों, छत्रपति शिवाजी की माँ जीजाबाई हो या फिर अपने बेटे दामोदर राव को अपने गोद में लेकर अंग्रेजों से युद्ध लड़ने वाली और अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाली झाँसी कि रानी लक्ष्मीबाई हों सबने अपने बच्चों को इस दुनिया में लाने के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए न जाने कितने कष्ट सहे हैं।

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जब बच्चों पर कोई मुसीबत आती है तो सबसे पहले अगर कोई खड़ा होता है तो वो है माँ:

एक बच्चे की उसकी सबसे बड़ी शिक्षक होती है उसकी माँ। अगर रोटी 1 हो तब मुझे भूख नहीं लगी है कह कर अपने बच्चे को रोटी खिलाने वाली होती है उसकी माँ। एक बेटा या बेटी अपने पिता से जो बात नहीं साझा कर सकता वो हर बात किसी से अगर वो कर सकता है तो वो है माँ। अगर बच्चे को 100 रुपये की जरुरत है और बच्चा अपने पिता से मांगने में एक बार सोच सकता है कि पापा देंगे या फिर डांट सुनना पड़ेगा कि अभी कल ही तो माँगा था लेकिन अगर वही बच्चा अगर अपनी माँ से 100 रुपये मांगता है तो माँ 200 रूपये निकाल कर अपने बच्चे को देती हैं और कहती हैं कि ले रख ले पर पापा को पता न चले ऐसी होती हैं माँ।

आज भी अगर हमें कुछ हो जाये तो सबसे पहले अगर कोई चिन्ता में आ जाता है या फिर सबसे पहले अगर कोई रोता है तो वो है माँ।
माँ ही है जो हमें इस दुनियाँ में लाने के लिए भी न जाने कितने दर्द सहती हैं इतना दर्द कि जो न जाने कितने हड्डियों के टूट जाने के बराबर होता है। हमें जरा सा अगर कट जाए तो बर्दास्त नहीं होता लेकिन एक माँ न जाने कितना दर्द सह कर भी हमें इस दुनियाँ में लाती हैं ऐसी समस्त माताओं को मेरी तरफ से प्रणाम।

 

कितने शर्म की बात है कि आज के समाज में लोगों ने माँ शब्द को भी एक गाली बना दिया है:

आज के समाज में लोगों कि हर बार में माँ शब्द की गाली आ ही जाती है वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके हर बात कि शुरुवात में ही पहला शब्द ही माँ शब्द कि गाली होती है। मुझे नहीं पता की उनकी भी माँ होती हैं या नहीं और वो इस दुनिया में किसी इंसानी माँ के कोख से जन्म लिया है या नहीं लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि माँ तो उनकी भी होती होंगी तो क्या वो अपनी माँ को भी इसी तरह माँ कि गाली देते होंगे या फिर वो माँ की गाली सुनकर बर्दाश्त कर जाते होंगे ? अगर नहीं तो फिर जब अपनी माँ की गाली नहीं सुन सकते तो दूसरों कि माताओं को गाली क्यों देते हैं… माँ तो माँ होती हैं चाहे वो उनकी हो या किसी और की माँ शब्द ही अपने आप में पवित्र है और देवी का रूप होती हैं माँ।

और वहीँ कुछ नालायक बेटे ऐसे भी होते हैं जो अपनी उस माँ को जिसने उनको अपनी कोख में 9 महीने रखकर न जाने कितना दर्द सहा उन्हें पाला-पोषा बड़ा किया और बड़ा हो जाने के बाद या शादी हो जाने के बाद उसी माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं ऐसे नालायक बेटों को खुद पर शर्म आना चाहिए और इसके लिए भी तैयार रहना चाहिए कि एक दिन उनकी औलादें भी उन्हें वृद्धाश्रम तक छोड़ कर आएँगी।

आज मदर्स डे के मौके पर सभी माताओं को नमन। हैप्पी मदर्स डे।।