December 8, 2024

Manipur Riot

अचानक से क्यों जल उठा मणिपुर ?

अचानक से क्यों जल उठा मणिपुर ?

आज कल मणिपुर में बहुत ही भयावह स्थिति है चारों तरफ दंगो की आग मणिपुर को झुलसा रही है और इसकी वजह है मणिपुर उच्च न्यायलय द्वारा दिए फैसले में सरकार को यह निर्देशित करना कि मैइती समुदाय को फिर से ST (Schedule Tribe) का दर्जा दिया जाए।
और मणिपुर सरकार मणिपुर उच्च न्यायलय द्वारा दिए निर्देश पर मैइती समुदाय को फिर से आदिवासी का दर्जा देने की योजना बना रही थी इसी कारण नागा-कुकी समुदाय के आदिवासी नाराज़ हो गए और 3 मई को मणिपुर के 9 जिलों में अपने संगठन आल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ़ मणिपुर (ATSUM) द्वारा आंदोलन करने के लिए इकठ्ठा हुवे। और देखते ही देखते ये आंदोलन हिंसा का रूप ले लिया।

Manipur Riot

मैइती समुदाय की क्या है मांग जिस पर कुकी-नागा समुदाय के लोग भड़क गए:

दरअसल जब हिंदुस्तान आज़ाद हुवा उस समय मैइती समुदाय मणिपुर में सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय हुवा करता था लेकिन 1949 में मैइती समुदाय से आदिवासी का दर्जा छीन लिया गया। और वर्तमान में भी मैइती समुदाय 55% आबादी के साथ सबसे बड़ा समुदाय है लेकिन उसके पास अब आदिवासी का दर्जा नहीं है। मणिपुर में वर्तमान में करीब 33 छोटी-बड़ी जनजातियां हैं जो नागा-कुकी जनजाति समुदायों अंतर्गत ही आती हैं। अगर देखा जाए तो मैइती समुदाय ही मणिपुर कि मूल-निवासी हैं और आज़ादी से पहले उन्हें आदिवासी का दर्जा भी हासिल था।

आदिवासी का दर्जा छीने जाने के बाद से मैइती समुदाय के लोग (जिसमें हिन्दू व मुस्लिम दोनों समुदाय हैं) जनसंख्या आधार पर 55% होने के बावजूद मूल निवासी होने के बावजूद मणिपुर की सिर्फ 10% ज़मीन पर ही निवास करने को मजबूर है। जबकि नागा-कुकी समुदाय के लोग (जिसमे ईसाई हैं) वो संख्या में करीब 40% होकर भी मणिपुर की 90% भूमि पर निवास करते हैं। तो मैइती समुदाय के लोगों कि यही मांग थी की उन्हें फिर से आदिवासी (ST) का दर्ज़ा दिया जाये और इसी बात को लेकर वो मणिपुर उच्च न्यायलय गए और वहाँ से कोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया कि सरकार जल्द मैइती समुदाय को ST का दर्ज़ा देने पर विचार करे और रिपोर्ट 1 महीने के अंदर कोर्ट में पेश करे। और कोर्ट के इसी आदेश पर नागा-कुकी समुदाय के लोग भड़क गए और आंदोलन करने लगे पहले तो ये आंदोलन चुराचांदपुर से व इम्फाल से शुरू हुवा और फिर आंदोलनकारी पुरे मणिपुर को धीरे-धीरे दंगो से आग में सुलगा दिए।

नागा-कुकी समुदाय के कुछ लोगों की सरकार से नाराज़गी तो पहले से ही थी क्यूंकि मणिपुर सरकार ने कुछ महीने पहले नागा-कुकी समुदाय द्वारा पहाड़ों पर अवैध रूप से की जा रही अफीम की खेती को नष्ट कर दिया था। और अब ऊपर से उच्च न्यायलय द्वारा सरकार को ये निर्देशित करना कि मेइती समुदाय को फिर से ST कि सूचि में शामिल किया जाये इससे नागा-कुकी समुदायों कि नाराज़गी और बढ़ गयी।

Manipur Riot

क्या चाहते हैं नागा-कुकी समुदाय व मैइती समुदाय के लोग ?

नागा-कुकी को डर है कि ST का दर्ज़ा दिए जाने के बाद मैइती समुदाय के लोग नौकरियों में उनके आरक्षणों को प्रभावित करेंगे और सभी सरकारी सेवाओं में और हर जगह उनका आरक्षण कोटा प्रभावित हो जायेगा और वो पहाड़ों पर भी ज़मीन खरीदने लगेंगे।

वहीँ मैइती समुदाय के लोगों (जिसमें हिन्दू व मुस्लिम दोनों हैं) का कहना है कि हम पूरे मणिपुर में 55% होकर भी सिर्फ 10% भूमि पर रहने को मजबूर हैं और ऊपर से आये दिन बांग्लादेश और म्यांमार से लोग चले आते हैं और यहाँ रहने लग जाते हैं उससे भी हमारे ज़मीन को व हमारे भविष्य को खतरा है। हम आबादी में 55% होकर भी राज्य की सिर्फ १०% ज़मीन पर रहते हैं बाकी समुदाय 40% होकर भी 90% ज़मीन पर रहती है राज्य में तो ये कहाँ का क़ानून ये कहाँ का न्याय है।
हम पहाड़ों पर रह नहीं सकते जबकि हम मूल रूप से मणिपुर की ही जनजाति हैं फिर भी आज स्थिति ये हो गयी है कि हम राज्य की सिर्फ १०% ज़मीन पर रहने को मजबूर हैं। दंगे में करीब 23000 लोगों को पलायन करना पड़ा है।

 

 

उग्र हिंसा के बाद सरकार ने मणिपुर में आर्मी तैनात कर दिए दंगाइयों को गोली मारने के आदेश:

नागा-कुकी समुदाय के लोगों द्वारा हुए आंदोलन ने इतना उग्र रूप ले लिया कि ये आंदोलन कब दंगो का रूप ले लिया पता ही नहीं चला जिधर देखो उधर ही आग देखते देखते पूरा मणिपुर दंगो की आग में जल उठा तो फिर केंद्रीय सरकार को आर्मी और पैरामिलिटरी फोर्सेज मणिपुर के लिए भेजना पड़ा। 
आज १० हज़ार से भी ज्यादा सेना के जवान मणिपुर में तैनात हैं। मणिपुर में हर जगह कर्फ्यू लगा हुवा था इंटरनेट, फ़ोन नेटवर्क सब बाधित हो चुका मार्केट भी बंद था लेकिन अब आर्मी के तैनाती के बाद से कर्फ्यू में थोड़ी ढ़ील दी जा रही लेकिन फिर भी उनको अगर कोई दंगा करते हुए दिखे तो दंगाइयों को देखते ही गोली मार देने के आदेश है।
हिंसा पर भारतीय भारतीय ओलिंपिक पदक विजेता और मणिपुर निवासी मैरी कॉम ने भी ट्ववीट कर गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांगी मदद।