November 21, 2024

केंद्र सरकार के अद्ध्यादेश पर तिलमिलाए केजरीवाल, अब नहीं कर पाएंगे अपनी मनमर्जी

केंद्र सरकार के अद्ध्यादेश पर तिलमिलाए केजरीवाल, अब नहीं कर पाएंगे अपनी मनमर्जी:

कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली को लेकर एक फैसला आया था कि दिल्ली में पुलिस, कानून औऱ ज़मीन पर कोई भी फैसला लेने का अधिकार सिर्फ केंद्रीय सरकार के पास रहेगा औऱ जबकि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर फैसला लेने का एक अधिकार दिल्ली सरकार को दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले को केजरीवाल सरकार ने खूब भुनाया था, अपनी जीत बताया था औऱ ढोल-नगाड़े पीटे थे औऱ कुछ ही घंटो के भीतर केजरीवाल सरकार ने उस पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों कि जांच कर रहे अधिकारियों का ट्रांसफर भी कर दिया था। कुछ अधिकारीयों ने तो यहाँ तक कहा कि केजरीवाल सरकार उन्हें धमकी दे रही है तो इस पर अब केंद्र सरकार सख्त हो गयी औऱ एक अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया है औऱ ट्रांसफर-पोस्टिंग करने के लिए दिल्ली का बॉस फिर से लेफ्टिनेंट गवर्नर को ही बना दिया है।

 

इस अध्यादेश में लेफ्टिनेंट गवर्नर को सीधे अधिकार तो नहीं फिर भी अंतिम मुहर उसी की:

अब दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग औऱ विजिलेंस का काम देखने के लिए 3 लोगों का अथॉरिटी होगा जिसका नाम राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकारण (NCCSA) होगा, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य-सचिव एवं केंद्रीय-सचिव टीम में शामिल होंगे औऱ बहुमत से ही सुनिश्चित किया जायेगा ट्रांसफर-पोस्टिंग विवाद होने के दशा में लेफ्टिनेंट गवर्नर ही अपनी मुहर लगाएगा मतलब ये कि अब अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे केजरीवाल।

केंद्र सरकार द्वारा लाये अध्यादेश पर केजरीवाल कर रहे बवाल:

केंद्र सरकार द्वारा लाये अध्यादेश के बाद ट्रांसफर-पोस्टिंग का आधिकार अब एक बार फिर से दिल्ली के लेफ्टीनेंट गवर्नर को मिल गया है हालाँकि लेफ्टीनेंट गवर्नर को सीधे तौर पर तो नहीं लेक़िन विवाद के स्थिति में अंतिम फैसला उसी का होगा। इसके बाद से ही अब केजरीवाल तिलमिला उठे हैं औऱ मीडिया में आकर उनके मंत्री औऱ वो स्वयं भी बवाल काट रहे हैं जो केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने के बाद ढोल-नगाड़े बजवा रहे थे औऱ उनकी सरकार द्वारा किये गए भ्रष्टाचार कि जांच कर रहे अधिकारियों का ट्रांसफर कर रहे थे अब वही अधिकार उनसे छीन लिया गया है औऱ उनके कई मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में महीनों से औऱ कुछ सालों से पहले ही तिहाड़ जेल में बंद हैं औऱ सुप्रीम कोर्ट से भी उनको जमानत नहीं मिल पा रहा है। तो ऐसे में अब नए घोटालों कि जाँच में फिर से कोई मंत्री या फिर वो स्वयं न फंस जाए इस डर से वो उन अधिकारियों को हटा कर नए अधिकारियों को नियुक्त करना चाह रहे थे पर अध्यादेश के बाद अब ऐसा नहीं हो पायेगा।

गौरतलब है कि उनके कई मंत्री तिहाड़ जेल जा चुके हैं औऱ कुछ अभी भी साल भर से तिहाड़ जेल में बंद हैं औऱ उनको कोर्ट से भी जमानत तक नहीं मिल रहा, उनके सरकार के उप-मुख्यमंत्री खुद भी शराब-घोटाले में करोड़ों का घोटाला करने के आरोप में सीबीआई कोर्ट में ही हैं औऱ उनको भी महीनों से जमानत नहीं मिल पा रहा। तो वहीँ अब मुख्यमंत्री केजरीवाल पर खुद ही भ्रष्टाचार करने के आरोप सीधे तौर पर लग गए हैं जिनमें उन्होंने ४५ करोड़ का शीशमहल बनवा दिया है जिसमे ८ लाख औऱ ५२ लाख रुपये के सिर्फ पर्दे ही लगे हैं औऱ करोड़ों का टेलीविज़न लगवा लिया है, करोंडो का मार्बल, ४-४ लाख का टॉयलेट-सीट लगवा लिए हैं तो ऐसे में जांच में सच सामने न आ जाये इस डर से जांच कर रहे अधिकारियों का तबादला करने अधिकार उनसे छीन जाना उनके लिए बहुत बड़ा झटका है औऱ वो भी तब जब सुप्रीम कोर्ट बंद हो १ महीने के लिए।