13 मई को कर्नाटक चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही कांग्रेस और उनके समर्थकों द्वारा कहा जा रहा है कि अब बीजेपी का वजूद दक्षिण भारत में ख़त्म हो गया है और अब दक्षिण भारत से बीजेपी कही नहीं है। तो जब हमने ये जानने का प्रयास किया कि क्या सच में दक्षिण भारत में बीजेपी का वजूद खत्म हो गया है तो हमें पता चला कि भले ही बीजेपी कर्नाटक चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पायी हो लेकिन उसका वजूद अभी भी दक्षिण भारत में बरक़रार है और ये हम यूँ ही नहीं कह रहे इसके पीछे कुछ कारण है आइये जानते हैं उन कारणों के बारे में–
बीजेपी को बेशक सीटें कम मिली हो लेकिन दक्षिण भारत में बीजेपी का वजूद अभी भी पहले जैसा ही बरकरार:
बीजेपी को पिछले चुनाव में 104 सीटें मिली थी लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 66 सीटें ही मिली यानी पिछली बार से 38 सीटें कम और कांग्रेस को इस चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले 55 सीटें ज्यादा मिली हैं। पिछले चुनाव में जेडीएस को 37 सीटें मिली थी तो वही इस चुनाव में उसे 18 सीटों का नुकसान हुआ है।
जब हम बात करते हैं वोटिंग प्रतिशत की तो हम देखते हैं कि पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी को महज़ 0.35% वोटिंग प्रतिशत का ही नुकसान हुआ है मतलब बीजेपी के वोटर्स अभी भी बीजेपी के साथ बने हुए हैं। फिर बात आती है कि अगर जब बीजेपी का वोटर्स बीजेपी के साथ अभी भी बना हुआ है तो फिर कांग्रेस का इस चुनाव में 4.75 % वोटिंग प्रतिशत कैसे बढ़ गया। तो आपको बता दें कि पिछले चुनाव में जेडीएस का वोटिंग प्रतिशत 18.30% था जो इस चुनाव में घट कर महज़ 13.29% ही रह गया है मतलब साफ़ है कि कांग्रेस का जो वोटिंग प्रतिशत करीब 4.75% बढ़ा है उसमें 4.5% वोटर्स सिर्फ जेडीएस से ही टूट कर कांग्रेस के साथ गए हैं।
तो खड़गे का ये कहना बिलकुल गलत होगा कि बीजेपी का अस्तित्व दक्षिण भारत में अब खत्म हो गया, बीजेपी के मतदाता अभी भी बीजेपी के साथ बने हुए हैं और बीजेपी का वजूद अभी भी दक्षिण भारत में बरकरार है।
कर्नाटक का पिछले 45 सालों का इतिहास है कि कोई भी पार्टी लगातार दोबारा सत्ता में नहीं आयी:
कर्नाटक में पिछले लगभग 45 सालों में कोई भी पार्टी लगतार सत्ता में चुनाव जीतकर अपने 5 साल पूरे नहीं कर पायी है। और इस दौरान कई बार कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन भी लगाना पड़ा है। चाहे कांग्रेस हो, बीजेपी हो या फिर जेडीएस लगातार कोई भी पार्टी दो बार चुनाव जीतकर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी हैं। 1978 से ही कर्नाटक में ऐसा होता रहा है कि एक बार कांग्रेस एक बार बीजेपी फिर एक बार कांग्रेस एक बार जेडीएस फिर एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी पिछले 45 सालों से यही चलता आ रहा है कर्नाटक में।
यानी कांग्रेस का आना तो लगभग तय था पहले से ही लेकिन जिस तरह से जेडीएस के मतदाता टूटकर कांग्रेस के साथ गए हैं इस चुनाव में जेडीएस को इस पर बहुत गहन विचार करने की जरूरत है। और बात करे अगर बीजेपी की तो बीजेपी कि सिर्फ सत्ता गयी है लेकिन बीजेपी के मतदाता आज भी बीजेपी के साथ बने हुए हैं।
Party List: |
Rulling Years |
Congress | 1978-1983 |
Janta Party | 1983-1989 |
Congress | 1989-1994 |
Janta Dal | 1994-1999 |
Congress | 1999-2006 |
Janta Dal | 2006-2007 |
Bhartiya Janta Party | 2007-2013 |
Congress | 2013-2018 |
Janta Dal | 2018-2019 |
Bhartiya Janta Party | 2019-2023 |
Congress | 2023– |
बीजेपी को अब अपने कामों पर जो जनता के हितों के लिए हों उस पर फोकस करने कि जरूरत:
बीजेपी को एक बार फिर से अपने कामों पर फोकस करना चाहिए। महंगाई को कण्ट्रोल करना चाहिए, पेट्रोल लगभग 100 रुपये चल रहा, सरसों का तेल 170 रुपये, डालडा 160 रूपये, दाल 160 रुपये किलो, आटा 35 रूपये किलो, घरेलु गैस जिसकी कीमत 1100 रुपये पार कर गयी है एक आम आदमी कहा से भरवाएगा 1100-1200 रुपये का गैस जिसके एक महीने कि आमदनी ही सिर्फ 8000-10000 रुपये है? अगर वो हर महीने 1200 रुपये सिर्फ गैस में दे देगा तो वो बाकी बचे पैसे में कैसे जीवन-यापन करेगा? अगर आज के समय में जिसके घर में २ बच्चे हैं तो उसके पढ़ाने-लिखाने में ही महीने का खर्चा करीब 2000-3500 रुपये तो लग ही जाता है कितना भी कम से कम करे तो।
पढ़े-लिखे छात्रों के लिए सरकारी नौकरी भी अब पहले जैसी नहीं आ रही। बहुत से विभाग में कर्मचारियों कि संख्या कम है और वहाँ कर्मचारियों कि बहुत जरुरत है लेकिन खाली पड़े पदों को भरा नहीं जा रहा।
रेलवे में 2018 में आयी भर्ती की अभी तक ज्वाइनिंग प्रकिया पूरी नहीं हो पायी है इस वजह से भी युवा छात्र नाराज हैं बीजेपी से तो ऐसे में बीजेपी को अपना घमंड तोड़कर कि अब जनता उसको हमेशा वोट देती रहेगी ये भ्रम तोड़कर जनता के लिए और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए भी कुछ सोचना चाहिए।
वैसे कांग्रेस को भी इस चुनाव से बहुत ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं उसे जीत मिली है लेक़िन ये सोचना कि 2024 के लोकसभा के चुनाव में भी ऐसी ही जीत मिलेगी तो ये सिर्फ ख़याली पुलाव पकाने जैसा ही होगा कांग्रेस के लिए क्यूंकि हर चुनाव एक अलग चुनाव होता है औऱ कांग्रेस अगर कर्नाटक में जीती है तो ये सिर्फ पिछले 45 वर्षों का इतिहास को दोहराया जाना ही है औऱ वही बीजेपी का वोटर्स अब भी बीजेपी के साथ बना हुआ है कर्नाटक में तो इसलिए भी कांग्रेस को बहुत ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं कि 2024 में भी यही परिणाम देखने को मिलेगा। 2013 में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली थी लेक़िन अगले ही साल २०१४ में बीजेपी राज्य में लोकसभा की 28 में से 19 सीट जीत गयी थी।